बात कुछ इस तरह शुरू हुई थी, के किसी ऋषि ने अपने उपदेश्य में कहा था के
" स्त्री घर की लक्ष्मी होती है, और यदि किसी पुरुष की स्त्री पागल हो, तो सभी धन वैभव होने के पश्च्यात भी वह भिकारी है "
इसी से शुरू होती हुई कुछ पंक्तियाँ लेकर उपस्थित हैं ...
जिसकी पत्नी हो पागल , वो कैसे भिकारी है
उसका नसीब तो दोस्तों , हम सभों से भारी है
यहाँ तो हर सुबह
नास्ते में बीवी की डांट
रास्ते में भीड़ की झपाट
ऑफिस में फाइलों से भरा कपाट
और महंगाई से जेब के पैसे सपाट
मुसीबतों का मारा
करे तो भला कैसे
इस भ्रष्ट देश में गुज़ारा .
जहां हर सरकारी दफ्तर में
कामचोरी है , घूसखोरी है और
इमानदारों संग सीना जोरी है .
समाज सेवकों का है आमरण अनशन
नेताओं के खोखले भाषण
"Coalition Government" का नपुंसक साशन
फिर भी आम आदमी को नहीं मिलता पर्याप्त राशन .
ये देश परमाणु विज्ञान में तो तरक्की कर रहा है
लेकिन आज भी यहाँ गरीब का बच्चा भूख और मुफलिसी से मर रहा है
अंग्रेजी भाषा का अध्ययन करना आज कल अनिवार्य है
और राष्ट्रभाषा के विद्वान को मिलता नहीं कहीं कार्य है
हर किसी को बस अपनी जेब भरने से नाता है
आग लगे देश को मेरे बाप का क्या जाता है
जिस सरकार को हमने चुना , वो तो हाथ पर हाथ धरे बैठी है
आग बुझाना तोह दूर , उसमें घी उड़ेलती रहती है .
सब यही कहते हैं के असहाय देश की जनता भला क्या करेगी
और नेताजी का कहना है
“सारी समस्याएं अभी सुलझा दी
तो हमारी पार्टी अगले इलेक्शन में किन मुद्दों पर लड़ेगी ”
ये कैसी विडम्बना , ये कैसा अट्टाहास है
लोकतंत्र के रखवालों की , बुझती नहीं क्यों प्यास है
आम आदमी का सपना है ,इक ऐसा भी दिन आएगा
जब कोई नेता यह कहे "आज मेरा उपवास है, आज मेरा उपवास है"!!!
3 comments:
Kya baat hai..kavi ji :) Ur in the wrong profession my friend..u'd rather be a gr8 poet :)
- Sumitabh
good 1 Mishra Babu.. Keep it up.. :)
-Jyoti
Sumitabh and Jyoti : thanks :)
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