Wednesday 28 March 2012

जितने लोग उतनी बातें !!!


Friday 23 March 2012

चलो ....... मेरा घर आ गया !!!!!



किसी  ऐसे  हमसफ़र  की  याद  में  लिखे  गए  ये  चंद   शब्द,  उन  छुपे  हुए  एहसासों  को  दर्शाते  हैं,  जिन्हें  हम  समय  रहते  ना  समझ  पाए  और  आजतक   गुमशुदा  तन्हाइयों  में  अपने  सिसकते  दिल  की  आहात  को  छुपाते , इस  नीरस  बेजान  से  जीवन  को  व्यतीत  कर  रहे  हैं .

 

 

 



नवम्बर  5 के  friday  का  वो  पहला  मेसेज 

“तुम  निकल  गए ” पुछा  हमें  इस  अदा  से ,

के  Golmaal 3 छोड़ी  हमने  थी  आधी 

और  पहुंचे  थे  स्टेशन  बड़ी  जल्द - बाजी .



वो  अक्रम  से  मिलने  था  Mahim जो  जाना 

और  Andheri में  फिर  वडा -पाव  खाना ,

गए  उसको  फिर  छोड़ने  उसके  घर  तक 

तभी  से  बने  हमसफ़र  बोर्डर  तक .



दिसम्बर  से  की  फिर  शुरू  छेद -खानी 

की  अक्रम  ने  हमपे  बड़ी  मेहेरबानी ,

बुलाता  रहा  वोह  उसे  King-circle

जहाँ  साथ  जाते  थे  हम  भी  दर -असल .



यूँ  लोकल  में  पहली  दफा  लेके  चढ़ना 

और  डब्बे  में  लोगों  का  बेहद  झगड़ना ,

खड़े  होना  दरवाज़े  पे  यूँ  संभलकर 
के  धक्का  लगे  उसे  अजनबी  का .



मिला  हमको  कारण  और  बदल  दिया  रास्ता 

थी  आरती  पे  नज़रें  और  भाड़ा  था  सस्ता ,

साथ  आरती  के  वो  जाया  करती  थी  गुमसुम 

हमारे  होने  से  हंसने  लगी  फिर  वो   हरदम .



एक  दिन  उनका  मीठा  खाने  की  ख्वाहिश  जताना

और  Tunga-Vihar से  मेरा  pastry खिलाना ,

इतने  पर  भी  उन्हें  चोकलेट  फ्लेवर  ना भाना 

तब  भी  बोर्डर  पे  आके  उनका  शुक्रिया  केह  जाना .



करे  काम  ज्यादा  हो  दिन  भर  busy  वो

इबादत  का  भी  वक़्त  मिलता  कभी  कभी  ना ,

उसपे  भी  Basis के  ऐन्वई  के   लफड़े 

करे  थर्किबाज़ी Dhaval वो  कमीना .



वो  खिल  खिल  के  हँसना ,ख़ुशी   से  मचलना 

चिढाने  पे  मेरे  वो  झट  से  भड़कना ,

वो  कैंटीन  के  झगडे ,फिर  रूठना  मनाना

और  Somadri को  अकेले  ice-cream खिलाना .



कहा  एक  दिन उसको  लुखी  था  मैंने 

थी  मुझपे  वो  भड़की  तभी  इस  कदर  से ,

के  चलना  नहीं  आज  तुम  साथ  मेरे

कहा  सबके  आगे  बिना  कुछ  झिझक  के .



हुई  मुझसे  गलती  जो  मैंने  ना  मानी 

लगा  मैंने  तो  की थी  बस  एक  शैतानी ,

लिया  उसने  दिल  पर  और  बदले  की  ठानी 

दिया  झटका  ऐसा  हुई  सबको  हैरानी .



मुझको  दी  मेरे  release की  खबर 

और  कहा  शादी  होगी  उसकी  इसी  दिसम्बर ,

लड़का  हुआ  पक्का  उसे देखने  आ  रहा  है 

मेरे  release  की  खबर  Abhay  Palak  से  बता  रहा  है .



सुनकर  उड़े  होश , होगा  अब  मुझे  भी  जाना

नयी  जगह  जाके  होगा  नए  दोस्त  बनाना ,

bekaert में  जिससे  लड़े  बिना  मेरा  दिन  ना  गुज़र  पाया 


उससे   दूर  होने  के  ख्याल  से  ही  मेरा  मन घबराया . 

महीनों  साथ  बैठे  conference room की  याद  तो  आई 

पर  उससे  भी  ज्यादा , दूर  बैठी  एक  पागल  दोस्त  की  फ़िक्र  सताई ,


दुःख  था  के  bekaert में  हुआ  मस्ती  और  मज़ा  याद  आएगा 

 पर  उससे  भी  बड़ा  गम  था  के  मेरा  चलो ......मेरा  घर  आ  गया !!!!       का  सफ़र  छुट  जायेगा .............






Wednesday 14 March 2012

दो शब्द : ज़िन्दगी के










आखिर वो रौशनी कहाँ है, जिसको युवा ढूंढ रहा है


Rat-Race में फसा हुआ है , internet  में धसा हुआ है



दिखावटी जग -मग में शायद , वो खुद को ही भूल रहा है

धुंद नशे, गांजे की रेशमी झूले में वोह झूल रहा है


disco  जाना भी है ज़रूरी , और शराब पीना मजबूरी


smoke , dope  पे है आधारित , व्यक्तित्व का मापदंड भी



अंग -प्रदर्शन की होड़ लगी हो , ऐसा लागे हर युवा को


कपडे जितने कम पहने हो , सामाजिक स्टर उतना ऊँचा हो



बड़ों का आदर , छोटों को दुलार , अब तो लगे  down - market  यार


तू-तड़ाक , सबसे मज़ाक, लगे अच्छे इन्हें पश्चिमी संस्कार



नित  affair  की बातें करते, इश्क मोहब्बत खेल से लगते

Flip -Flops  से हैं सारे रिश्ते , पल में बनते झट से बिगड़ते



सदियों से चली आ रही परम्पराएं , विलुप्त होने की कगार पर खड़ी हैं


सामाजिक नियमों को बंधन कहके मिटाने में ये पूरी पीढ़ी पड़ी हैं



आज का युवा , कठिनाईयों से लड़ने के तो काबिल है

पर  computer  के घोर असर से , उपकरण बना उसका दिल है



मंजिल को जल्द पाने की आपा धापी में , रास्ते का लुत्फ्ज़ उठाना ही भूल चूका है

ढोंग ढकोसले की चका -चौंध से भ्रमित , सात्विकता से जीना ही भूल चूका है !!



ऐसी कौनसी "SUCCESS" पानी है, ऐसे किस "CAREER" में जाना है

ऐसा क्या है इन दो शब्दों में, के हर युवा इनका दीवाना है !!!






Thursday 1 March 2012

Valentine



इतनी  शिद्दत  से,  पेहली  दफा उनको  देखा 

के उनके  चेहरे  से  अपनी  नज़रें  तो   हटा  लीं, 

पर  अपनी  आँखों  से  उनका  चेहरा  न  हटा  सके  हम !!!



यूँही  साथ  उनके  चले  दो  कदम  जो 

लगा  राह  मीलों  की  तय  कर  चुके  हम



छुआ  हाथ  गलती  से  स्टेशन  पे  उनका

लगा  दूर  दुनिया  में  है  जा  चुके  हम



दिया  फूल  उनको  बड़ी  कशमकश  से

लिया  जो  उन्होंने  बिना  कुछ  झिझक  के



 कहा  दिल  ने  मौका  है  कह  दे  जो  कहना 

गया  तू  जो  IMT, तो रह  जाएगा  वर्ना 



जुबां  पर  है  ताले , तो  मुह  कैसे  खोले 

निहारे  उसी को  बिना  कुछ  भी  बोले 



हुआ  इल्म  कहना  बड़ा  ही  है  मुश्किल 

तभी  एक  नुस्खा  हमें  भी  गया  मिल 



लिया  काम  नज़रों  का , करके  इशारे 

वोह  शरमाई  हलके  से , और  यूँ  ‘ धत्त ’ कहा  रे 



बिना  कुछ  कहे  ही  हुआ  सब  मुकम्मल 

उसी  वक़्त  टूटा  वो  सपना  दरअसल



आगे  का  किस्सा  कभी  और  सुनायेंगे 

नींद  आने  भर  की  देर  है , 

सपने  तो  कमबख्त  और  भी  आएँगे !!!

सपने  तो  कमबख्त  और  भी  आएँगे !!! 



....abhienow