Saturday 31 December 2011

अलविदा 2011

 


गिनती भी ना कर सके, यादें इतनी अनगिनत जो हैं

पर आनेवाले वर्ष की अगवानी भी तो करनी है

कुछ पौधे जो लगाये थे, उनकी बागबानी भी तो करनी है



2011 तुने इतना कुछ दिखलाया है

उम्र भर ना भूल पाएं ऐसा परिवर्तन लाया है



शुरू हुआ "Mr. Mishra" कहने वाली इक छोरी से 

चुलबुली सी, पागल सी, बेबाक हसती गोरी से 


सुमिताभ को जानते तो पहले से थे, पर उससे भी दोस्ती घनी हुई 


उनकी लुव-स्टोरी के चक्कर में, मेरी अब तक है कईयों से ठनी हुई 





निर्भय, निश्चल और Poker-faced, हम PLACECOMERS की टोली है 


जिसमें एक AUNTY और GILLI  और बाकी सब हमजोली हैं

एक मिनट करते करते बंगाल की नैया ठेली है 


umm umm umm और मोटी ने पूरे मुंबई की ले ली है


‘but the thing is’ के नारे ने तो जान बचानी चाही थी


पर ‘this applies to saptarshi as well’ से फिर भी बच ना पायी है





“Maa de Laadle”, Chu-chu और Sangwan का “दो हंसों का जोड़ा ” है


"Logic तो समझ आती नहीं " इस विश्वास को किसीने ना तोडा है


गौरब , सप्तर्षि  और  नेहा  को  ऑफिस  में  पाना  बड़ा  ही  pricey है


और campus की  highest paying company, साला  आज  भी  dicey है