Monday 20 February 2012

Section D




बला का हुस्न, गज़ब का शबाब; डी में है

बला का हुस्न, गज़ब का शबाब; डी में है!



वो लाल रंग का चश्मा, बड़ा गज़ब धाता 

किसी भी रंग का पोशाक, उसपे है भाता

मगर वो श्वेत से रंग में, लगे परी आई

उसे यूँ देख लगे, अक्ल मेरी भरमाई !!



बड़ी अदा से क्लास में, है लेते अंगडाई 

वो मु छुपा के लेते, ऐसे जम्हाई! 

के जैसे सुर्ख सी आँखों में हो, नमी आई 

हो बाद चेहरे पे हल्की-सी, इक हंसी छाई!!



वो मुस्कुराके जो देखे,  तो रुत बदल जाए 

उसे ही देखके, मेरी तोह क्लास कट जाए 

के ऐसे हुस्न की काया, मेरे करीब में है 



वो कई बार हटाये, अपने चेहरे से लट

सिन्दूरी ग्लास से खेले, कभी कभी नटखट 

नज़ाकतों की यह मूरत, मेरे रकीब में है!!



अदा से सोते हुए देखा, बड़ी ही गौर से यूँ 

मचल रही हैं मेरे, दिल की धडकनें भी क्यों! 

के उसकी बंद नज़र को, नज़र न लग जाए 

खुदा  करे, के मेरा ध्यान कहीं बंट जाए!!



वो है बगल में मेरे, फिर भी कितनी दूरी है 

शफाक नूर से, दूरी भी तो ज़रूरी है!

लगे है डर, उसे तोहमत कहीं न लग जाए 

भरी महफ़िल में खता, हम, कोई ना कर जाए!!  



मेरी नज़र से जो देखो, तो ये समझ आए

हया की लाली में, तसव्वुर की झलक मिल जाए! 

यहाँ नज़र की नहीं, नज़रिए की ज़रूरत है 

उसे पता ही नहीं, वोह कितनी खूबसूरत है!!



है सारी खूबियाँ उसमें, फिर भी इंसां है  

उसे तराशा यूँ किसने, खुदा भी हैरां है!

ये शक्श इश्क नहीं, इबादत के काबिल है 

है खुशनसीब, जिसको भी वोह गया मिल है!! 



बला का हुस्न, गज़ब का शबाब; डी में है 

है शुक्रिया ऐ खुदा, उसके हम रकीब में है !!

....abhienow





Thursday 16 February 2012

MANGO PEOPLE (आम जनता )



बात कुछ इस तरह शुरू हुई थी, के किसी ऋषि ने अपने उपदेश्य में कहा था के 
" स्त्री घर की लक्ष्मी होती है, और यदि किसी पुरुष की स्त्री पागल हो, तो सभी धन वैभव होने के पश्च्यात भी वह भिकारी है "
इसी से शुरू होती हुई कुछ पंक्तियाँ लेकर उपस्थित हैं ...

                                             
जिसकी  पत्नी  हो  पागल , वो  कैसे  भिकारी  है 
उसका  नसीब  तो   दोस्तों , हम  सभों  से  भारी  है

यहाँ  तो हर सुबह 
नास्ते  में  बीवी  की  डांट                             
रास्ते  में  भीड़  की  झपाट 
ऑफिस  में  फाइलों  से  भरा  कपाट 
और  महंगाई  से  जेब  के  पैसे  सपाट 

मुसीबतों  का  मारा 
Common Man
"Common man" बेचारा 
करे  तो  भला  कैसे
इस  भ्रष्ट  देश  में  गुज़ारा .

जहां  हर  सरकारी  दफ्तर  में
कामचोरी  है , घूसखोरी  है  और 
इमानदारों  संग  सीना  जोरी  है .

समाज  सेवकों  का  है  आमरण  अनशन 
नेताओं  के  खोखले  भाषण 
"Coalition Government"  का  नपुंसक  साशन 
फिर  भी  आम  आदमी  को  नहीं  मिलता  पर्याप्त  राशन .

ये  देश  परमाणु  विज्ञान  में  तो तरक्की  कर  रहा  है
लेकिन  आज  भी  यहाँ गरीब  का  बच्चा  भूख  और  मुफलिसी  से  मर  रहा  है
अंग्रेजी  भाषा  का  अध्ययन  करना  आज  कल  अनिवार्य  है
और  राष्ट्रभाषा  के  विद्वान  को  मिलता  नहीं  कहीं  कार्य  है

हर  किसी  को  बस  अपनी  जेब  भरने  से  नाता  है
आग  लगे  देश  को  मेरे  बाप  का  क्या  जाता  है
जिस  सरकार  को  हमने  चुना , वो    तो  हाथ  पर  हाथ  धरे  बैठी  है
आग  बुझाना  तोह  दूर , उसमें  घी  उड़ेलती  रहती  है .

सब  यही  कहते  हैं  के असहाय  देश  की  जनता  भला  क्या  करेगी 
और  नेताजी  का  कहना  है
“सारी  समस्याएं  अभी  सुलझा  दी 
तो   हमारी  पार्टी  अगले  इलेक्शन  में  किन  मुद्दों  पर  लड़ेगी ”

ये  कैसी  विडम्बना , ये  कैसा  अट्टाहास  है
लोकतंत्र  के  रखवालों  की , बुझती  नहीं  क्यों  प्यास  है
आम  आदमी  का  सपना  है ,इक  ऐसा  भी  दिन  आएगा 
जब  कोई  नेता  यह  कहे "आज  मेरा  उपवास  है, आज  मेरा  उपवास  है"!!!