Friday 23 March 2012

चलो ....... मेरा घर आ गया !!!!!



किसी  ऐसे  हमसफ़र  की  याद  में  लिखे  गए  ये  चंद   शब्द,  उन  छुपे  हुए  एहसासों  को  दर्शाते  हैं,  जिन्हें  हम  समय  रहते  ना  समझ  पाए  और  आजतक   गुमशुदा  तन्हाइयों  में  अपने  सिसकते  दिल  की  आहात  को  छुपाते , इस  नीरस  बेजान  से  जीवन  को  व्यतीत  कर  रहे  हैं .

 

 

 



नवम्बर  5 के  friday  का  वो  पहला  मेसेज 

“तुम  निकल  गए ” पुछा  हमें  इस  अदा  से ,

के  Golmaal 3 छोड़ी  हमने  थी  आधी 

और  पहुंचे  थे  स्टेशन  बड़ी  जल्द - बाजी .



वो  अक्रम  से  मिलने  था  Mahim जो  जाना 

और  Andheri में  फिर  वडा -पाव  खाना ,

गए  उसको  फिर  छोड़ने  उसके  घर  तक 

तभी  से  बने  हमसफ़र  बोर्डर  तक .



दिसम्बर  से  की  फिर  शुरू  छेद -खानी 

की  अक्रम  ने  हमपे  बड़ी  मेहेरबानी ,

बुलाता  रहा  वोह  उसे  King-circle

जहाँ  साथ  जाते  थे  हम  भी  दर -असल .



यूँ  लोकल  में  पहली  दफा  लेके  चढ़ना 

और  डब्बे  में  लोगों  का  बेहद  झगड़ना ,

खड़े  होना  दरवाज़े  पे  यूँ  संभलकर 
के  धक्का  लगे  उसे  अजनबी  का .



मिला  हमको  कारण  और  बदल  दिया  रास्ता 

थी  आरती  पे  नज़रें  और  भाड़ा  था  सस्ता ,

साथ  आरती  के  वो  जाया  करती  थी  गुमसुम 

हमारे  होने  से  हंसने  लगी  फिर  वो   हरदम .



एक  दिन  उनका  मीठा  खाने  की  ख्वाहिश  जताना

और  Tunga-Vihar से  मेरा  pastry खिलाना ,

इतने  पर  भी  उन्हें  चोकलेट  फ्लेवर  ना भाना 

तब  भी  बोर्डर  पे  आके  उनका  शुक्रिया  केह  जाना .



करे  काम  ज्यादा  हो  दिन  भर  busy  वो

इबादत  का  भी  वक़्त  मिलता  कभी  कभी  ना ,

उसपे  भी  Basis के  ऐन्वई  के   लफड़े 

करे  थर्किबाज़ी Dhaval वो  कमीना .



वो  खिल  खिल  के  हँसना ,ख़ुशी   से  मचलना 

चिढाने  पे  मेरे  वो  झट  से  भड़कना ,

वो  कैंटीन  के  झगडे ,फिर  रूठना  मनाना

और  Somadri को  अकेले  ice-cream खिलाना .



कहा  एक  दिन उसको  लुखी  था  मैंने 

थी  मुझपे  वो  भड़की  तभी  इस  कदर  से ,

के  चलना  नहीं  आज  तुम  साथ  मेरे

कहा  सबके  आगे  बिना  कुछ  झिझक  के .



हुई  मुझसे  गलती  जो  मैंने  ना  मानी 

लगा  मैंने  तो  की थी  बस  एक  शैतानी ,

लिया  उसने  दिल  पर  और  बदले  की  ठानी 

दिया  झटका  ऐसा  हुई  सबको  हैरानी .



मुझको  दी  मेरे  release की  खबर 

और  कहा  शादी  होगी  उसकी  इसी  दिसम्बर ,

लड़का  हुआ  पक्का  उसे देखने  आ  रहा  है 

मेरे  release  की  खबर  Abhay  Palak  से  बता  रहा  है .



सुनकर  उड़े  होश , होगा  अब  मुझे  भी  जाना

नयी  जगह  जाके  होगा  नए  दोस्त  बनाना ,

bekaert में  जिससे  लड़े  बिना  मेरा  दिन  ना  गुज़र  पाया 


उससे   दूर  होने  के  ख्याल  से  ही  मेरा  मन घबराया . 

महीनों  साथ  बैठे  conference room की  याद  तो  आई 

पर  उससे  भी  ज्यादा , दूर  बैठी  एक  पागल  दोस्त  की  फ़िक्र  सताई ,


दुःख  था  के  bekaert में  हुआ  मस्ती  और  मज़ा  याद  आएगा 

 पर  उससे  भी  बड़ा  गम  था  के  मेरा  चलो ......मेरा  घर  आ  गया !!!!       का  सफ़र  छुट  जायेगा .............






2 comments:

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत खूब लिखा है..

abhienow said...

सवाई सिंहजी : धन्यवाद!!!