एक दफा हर साल में आता "राखी" का त्यौहार ,
सोच रहा था क्या दूँ इस वर्ष अपनी बहनों को उपहार ??
इसी प्रश्न से प्रेरित हैं आगे की कुछ पंक्तियाँ...
बहुत चंचल बहुत खुशनुमा सी होती हैं बहनें
नाज़ुक सा दिल रखती हैं, मासूम सी होती हैं बहनें !!
बात बात पर रोती हैं, झगड़ती हैं, लड़ती हैं, नादान सी होती हैं बहनें
हमारे दिल की हर कही - अनकही बातों को समझ जाती हैं बहनें !!
जो रूठे तो, पूरा घर सर पे उठा लेती हैं बहनें
घर भी महक उठता है, जब मुस्कुराती हैं बहनें !!
पापा की दुलारी, माँ का हर काम में हाथ बँटाती हैं बहनें
दूर हो या पास, हर सुख - दुःख में साथ निभाती हैं बहनें !!
होती है अजीब सी कैफियत, जब मायका छोड़ के चली जाती हैं बहनें
घर लगता है सूना - सूना, कितना रुलाती हैं बहनें !!
पर आज भी इस देश में कन्या का अनादर होता है
कन्या भ्रूण हत्या आज भी कई राज्यों में एक प्रथा है !!
धर्म - जाती और रीति - रिवाज़ों के नाम पर सताया जाता है
दहेज़ के नाम पर उन्हें आज भी मारा - पीटा , जलाया जाता है !!
आओ मिलकर प्रण करें, हम बहनों की रक्षा करेंगे
क्योंकि देश की धरोहर, इश्वर का अनमोल तोहफा, होती हैं बहनें !!
by abhienow & Abhinav Dubey
9 comments:
amazing poem yaar.. really loved the feelings in the poem.. superlike :)
bahut khub kaha hai bahut khub
thank you Sumitabh, Mohit
kavita mast hai
bas transition smooth nahi hai
if you can reframe the transition it will be better
Thank you Sir for your genuine feedback :)
nice.. gud compilation of feelings...
gr8 work.. keep it up...:)
Absolutely awesome.. heart touching poem.. can't praise more in words. I am speechless now..!!!
Awesome poem.. heart touching words.. I can't express more in words.. m speechless now!!
thank u Shilpi
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