Thursday, 1 March 2012

Valentine



इतनी  शिद्दत  से,  पेहली  दफा उनको  देखा 

के उनके  चेहरे  से  अपनी  नज़रें  तो   हटा  लीं, 

पर  अपनी  आँखों  से  उनका  चेहरा  न  हटा  सके  हम !!!



यूँही  साथ  उनके  चले  दो  कदम  जो 

लगा  राह  मीलों  की  तय  कर  चुके  हम



छुआ  हाथ  गलती  से  स्टेशन  पे  उनका

लगा  दूर  दुनिया  में  है  जा  चुके  हम



दिया  फूल  उनको  बड़ी  कशमकश  से

लिया  जो  उन्होंने  बिना  कुछ  झिझक  के



 कहा  दिल  ने  मौका  है  कह  दे  जो  कहना 

गया  तू  जो  IMT, तो रह  जाएगा  वर्ना 



जुबां  पर  है  ताले , तो  मुह  कैसे  खोले 

निहारे  उसी को  बिना  कुछ  भी  बोले 



हुआ  इल्म  कहना  बड़ा  ही  है  मुश्किल 

तभी  एक  नुस्खा  हमें  भी  गया  मिल 



लिया  काम  नज़रों  का , करके  इशारे 

वोह  शरमाई  हलके  से , और  यूँ  ‘ धत्त ’ कहा  रे 



बिना  कुछ  कहे  ही  हुआ  सब  मुकम्मल 

उसी  वक़्त  टूटा  वो  सपना  दरअसल



आगे  का  किस्सा  कभी  और  सुनायेंगे 

नींद  आने  भर  की  देर  है , 

सपने  तो  कमबख्त  और  भी  आएँगे !!!

सपने  तो  कमबख्त  और  भी  आएँगे !!! 



....abhienow





6 comments:

AshishBatra said...

bahut umda likhte ho miyan..

abhienow said...

सुष्माजी : बस आप-बीती है , जिसे शब्दों में पिरोने की कोशिश की है....

abhienow said...

आशीषजी : धन्यवाद!!!

Jyoti said...

kya baat hai mishra ji... thode senti khayal aa gaye padhte hi... :) bohot hi badhiya likha hai..

amrendra "amar" said...

waah, bahut sunder prastuti. pahli baar aya.ab baar baar ane ka man hai .aise hi ata rahunag
sasneh badhai

abhienow said...

amrendra "amar" : सादर आभार !!!